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What is the Communication Process
What is Communication in Hindi – सभ्यता के विकास के समय मानव बहुत सी सूचनाओं को एकत्रित करना चाहता था, किन्तु मानव मस्तिस्क की संग्रह क्षमता अत्यधिक कम है।

यह संभव नहीं है कि हर समय सभी सूचनाएं मानव मस्तिस्क में उपलब्ध हो, अतः आवश्यक है कि डाटा व सूचना को ग्रहण करने का कोई सही तरीका हो और उन्हें इस प्रकार संग्रहित किया जाए कि आवश्यकता पड़ने पर वे उपलब्ध हो सके।
इसी क्रम में डाटा पर क्रिया करने की तकनीक का विकास हुआ, इसी कारण आज सूचना तकनीकी का चारो ओर व्यावसायिक तथा सामाजिक आवश्यकता के रूप में महत्व है।
इस सूचना का आदान प्रदान सर्वप्रथम टेलीफोन द्वारा तथा बाद में टेलैक्स, फैक्स पेजर, सेल्युलर फोन, Email द्वारा आरंभ हुआ।
डाटा को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचना ही डाटा संचार का मूल उद्देश्य होता है। Data का Sender और Receiver कंप्यूटर का प्रयोग करते है।
प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता (Sender and Receiver) कंप्यूटर का प्रयोग करते है। प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता इस प्रणाली के मूलभूत तत्व होते है।
वर्तमान समय में किसी भी कंप्यूटर को विश्व में स्थित किसी अन्य कंप्यूटर के साथ सरलता से जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार सूचनाओं का आदान प्रदान सरलता एवं तीव्रता से किया जा सकता है।
इस प्रकार के तत्व को कंप्यूटर नेटवर्क करते है। Computer Network एक ऐसा Network है जिसमे एक दूसरे से जुड़े ऐसे कंप्यूटरों का जाल होता है जो कि भौगोलिक दृष्टि से अलग अलग स्थानों पर रखे होते है।
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कम्युनिकेशन के प्रकार या संचार के प्रकार (Types of Communication in Hindi)
Basic Elements of Data Communication Hindi
संचार प्रणाली में निम्नलिखित भाग होते है –
• Sender (सैंडर)
सैडर अथवा श्रोता व्यक्ति प्रेषण हेतु डाटा प्रदान करता है। यह डाटा कोई फाइल, Image, Sound या कोई चलचित्र भी हो सकता है।
• Communication Medium (संचार माध्यम)
सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण करने के लिए संचार माध्यम की आवश्यकता होती है। प्राय यह संचार Telephone Line के मध्य से होता है।
संचार माध्यम (Communication Medium) दो प्रकार की होती है –
1. निर्देशित संचार माध्यम (Guided Communication Medium)
इसके अंतर्गत संचार तारो का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – ट्विस्टेड तार युग्म, कोइक्सियल केबल, फाइबर ऑप्टिक केबल आदि।
2. अनिर्देशित संचार माध्यम (Unguided Communication Medium)
इसके अन्तर्गत तारो का प्रयोग नहीं किया जाता है;
जैसे – रेडियो तरंगे, माइक्रोवेव तरंगे, उपग्रह संचार आदि।
• Receiver (प्राप्तकर्ता)
यह एक ऐसी डिवाइस होती है, जो संचार माध्यम से डाटा को Receiver करती है।
• संचार प्रोटोकॉल (Communication Protocol)
प्रोटोकॉल वह तकनीकी नियम अथवा निर्देश है जिनके द्वारा उपकरणों के माध्यम से संकेतो का संचालन किया जाता है। यह नियम सूचनाओं के संचार को नियंत्रित करते है।
इस नियमो तथा विधियों के समूह को संचार प्रोटोकॉल कहते है।
Transmission Media Modes
Data Commumication माध्यम की तीन अवस्थाएं होती है –
Simplex
यह डाटा को प्रेषित करने की सबसे सरल विधि है। इसमें डाटा को केवल एक ही दिशा में भेजा जा सकता है।
इसका अर्थ है कि डाटा को उसके स्त्रोत बिंदु से गंतव्य तक भेजा जा सकता है, परन्तु गंतव्य से स्त्रोत तक कोई डाटा नहीं भेजा जा सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित नहीं हो पाता है कि डाटा ठीक प्रकार गया है या नहीं।
जैसे – रेडियो प्रसारण और टेलीविजन प्रसारण।
डाटा संचार की इस अवस्था में आंकड़ों का प्रसारण सदैव एक ही दिशा में होता है। यह एक विशेष उपकरण द्वारा प्रेषित किए जाते है तथा अन्य उपकरण केवल अभिग्रहण की क्रिया करते है।
इस प्रणाली में प्रेषक उपकरण के द्वारा होता है, परन्तु जिन डिवाइसों में डाटा एक दिशा में संचारित होता है, इसमें Simplex लाइन का प्रयोग अनुपयुक्त होता है।
Half Duplex
इस अवस्था में डाटा का संचरण दोनों दिशाओं संभव होता है लेकिन एक समय में एक ही दिशा में डाटा का संचरण होता है।
उदाहरणार्थ – स्थानीय क्षेत्रीय नेटवर्क में अर्द्ध ड्युप्लेक्स प्रणाली का उपयोग होता है।
कंप्यूटर क्षेत्र हार्ड डिस्क पर डाटा लिखने व पढ़ने की प्रणाली में डाटा का आदान प्रदान अर्द्ध ड्युप्लेक्स अवस्था में ही होता है।
जब हार्ड डिस्क पर डाटा save किया जाता है तो उस समय डाटा पढ़ा नहीं जा सकता है और जब डाटा पढ़ा जा रहा हो , तब उस समय डाटा Save नहीं किया जा सकता है।
Full Duplex
इस अवस्था में एक ही समय में डाटा का संचरण दोनों दिशाओं में संभव है। इस प्रणाली में एक ही समय में प्रेषण व श्रमिग्रहण दोनों कार्य किए जा सकते है।
इस प्रणाली में Sander तथा प्राप्तकर्ता दोनों के लिए दो भौतिक रूप की आवश्यकता होती है।
उदाहरणार्थ – आधुनिक दूरभाष प्रणालियां पूर्ण ड्युप्लेक्स सुविधा का उपयोग करती है।
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